नई दिल्ली, 9 जुलाई —
तेल और गैस क्षेत्र में बड़े बदलावों की शुरुआत करते हुए भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने बुधवार को मसौदा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियम, 2025 जारी किए। इस पहल का उद्देश्य निवेशकों का भरोसा बढ़ाना, परिचालन को आसान बनाना और ऊर्जा नीति को वैश्विक सतत विकास और डीकार्बनाइजेशन लक्ष्यों के अनुरूप बनाना है।
इस घोषणा को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हम तेल और गैस की खोज को गति देने के लिए ऐतिहासिक नीति सुधार ला रहे हैं। ये नए नियम हमारी ईएंडपी (एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन) कंपनियों के लिए व्यवसाय करना और भी सरल बनाएंगे।”
मंत्रालय ने मसौदा नियम, संशोधित मॉडल राजस्व साझा अनुबंध (MRSC) और नया पेट्रोलियम पट्टा प्रारूप सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया है। उद्योग विशेषज्ञों, हितधारकों और आम जनता से सुझाव 17 जुलाई तक png-rules@dghindia.gov.in पर ईमेल द्वारा आमंत्रित किए गए हैं। परामर्श प्रक्रिया का समापन उसी दिन ‘ऊर्जा वार्ता 2025’ कार्यक्रम के दौरान भारत मंडपम, नई दिल्ली में होगा।
मुख्य विशेषताएं:
1. स्थिरीकरण खंड (Stabilisation Clause):
नए नियमों में सबसे अहम बदलाव यह है कि अगर भविष्य में कोई कर या रॉयल्टी में वृद्धि होती है, तो कंपनियों को क्षतिपूर्ति या कटौती मिल सकती है। इससे निवेश वातावरण सुरक्षित और स्थिर बनता है।
2. हरित ऊर्जा का समावेश:
भारत में पहली बार तेल क्षेत्रों में सौर, पवन, हाइड्रोजन, और जियोथर्मल ऊर्जा जैसे हरित ऊर्जा स्रोतों के एकीकरण की अनुमति दी गई है — बशर्ते कि सुरक्षा मानदंडों का पालन किया जाए और पेट्रोलियम संचालन बाधित न हो।
3. पाइपलाइन व इन्फ्रास्ट्रक्चर साझा करना:
कंपनियों को अपनी अल्प-प्रयुक्त पाइपलाइन और सुविधाओं की जानकारी साझा करनी होगी, ताकि तीसरे पक्ष को सरकारी निगरानी में उपयोग की अनुमति दी जा सके।
4. पर्यावरणीय स्थिरता पर ज़ोर:
नियमों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की निगरानी, कार्बन कैप्चर व भंडारण, और साइट बहाली निधि बनाए रखने जैसे प्रावधान अनिवार्य किए गए हैं। संचालन बंद होने के बाद पांच वर्षों तक निगरानी जरूरी होगी।
5. डेटा स्वामित्व:
तेल व गैस क्षेत्र में पैदा होने वाले सभी ऑपरेशनल डेटा और सैंपल पर सरकार का अधिकार होगा। कंपनियां आंतरिक उपयोग कर सकती हैं, लेकिन बाहरी साझा करने या निर्यात के लिए सरकारी अनुमति जरूरी होगी।
6. कानूनी प्राधिकरण का गठन:
नियमों के अनुपालन और विवाद निपटान के लिए संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के स्तर का एक निर्णय प्राधिकरण बनाया जाएगा।
ये नियम 1949 और 1959 के पुराने कानूनों की जगह लेंगे और हाल ही में संशोधित “तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948” से मेल खाते हैं। इनका समय निर्धारण भारत की अब तक की सबसे बड़ी खोज और उत्पादन निविदा प्रक्रिया OALP राउंड-X से पहले किया गया है।
हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “भारत में अब तेल और गैस की खोज पहले से कहीं अधिक आसान, तेज़ और लाभकारी हो गई है। हम सकारात्मक भागीदारी की उम्मीद करते हैं ताकि एक आधुनिक और निवेशक अनुकूल व्यवस्था तैयार हो सके।”