ट्रंप का नया एच-1बी शुल्क भारतीय टेक टैलेंट पर गहरी चोट: जेपी मॉर्गन

Last Updated on September 24, 2025 1:03 pm by BIZNAMA NEWS

BIZ DESK

ट्रंप प्रशासन द्वारा एच-1बी वीज़ा के लिए 1,00,000 डॉलर का आवेदन शुल्क लागू करने के प्रस्ताव ने अमेरिकी कॉरपोरेट जगत और भारतीय पेशेवरों में हलचल मचा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय न केवल प्रवासी कर्मचारियों की संख्या घटाएगा बल्कि अमेरिका की टेक आधारित अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुँचा सकता है।

जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी के अर्थशास्त्री एबील रेनहार्ट और माइकल फेरोली का अनुमान है कि इस भारी-भरकम शुल्क से हर महीने करीब 5,500 वर्क परमिट कम हो सकते हैं। उनका कहना है कि असर सबसे ज्यादा तकनीकी कंपनियों और भारतीय आईटी पेशेवरों पर पड़ेगा, क्योंकि वे इस वीज़ा श्रेणी का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं।

आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024 में दो-तिहाई एच-1बी स्वीकृतियां कंप्यूटर संबंधित नौकरियों के लिए थीं, जबकि कुल मंजूर याचिकाओं में से 71% भारतीय नागरिकों को मिलीं। बीते साल 1.41 लाख नई एच-1बी याचिकाएं स्वीकृत हुईं, जिनमें से 65,000 विदेश से दायर की गईं। यही श्रेणी शुल्क वृद्धि से सबसे अधिक प्रभावित होगी।

जेपी मॉर्गन ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “यदि इन आवेदनों पर रोक लगती है, तो हर महीने हज़ारों कुशल पेशेवर अमेरिकी कंपनियों से बाहर हो जाएंगे।

इसी बीच, रेवेलियो लैब्स की वरिष्ठ अर्थशास्त्री लूजाइना अब्देलवाहेद ने इस कदम को “एच-1बी प्रणाली को लगभग ध्वस्त करने जैसा” बताया। उनके अनुसार, इससे हर साल 1.4 लाख तक नई नौकरियां खत्म हो सकती हैं, जो विदेशी प्रतिभा पर निर्भर हैं।

नीति की घोषणा ऐसे समय हुई है जब अमेरिकी श्रम बाज़ार पहले ही धीमा पड़ चुका है। पिछले तीन महीनों में औसतन केवल 29,000 पेरोल जुड़े हैं। फेडरल रिज़र्व प्रमुख जेरोम पॉवेल ने इसे आपूर्ति और मांग में “स्पष्ट गिरावट” करार दिया है।

उधर, कैलिफ़ोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बॉन्टा ने इसे व्यवसायों के लिए “अनिश्चितता और अप्रत्याशितता” पैदा करने वाला बताया और कहा कि राज्य इस नीति की वैधता की जांच करेगा।

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