— मंगलवार के कारोबारी सत्र में भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। वित्तीय, एफएमसीजी और रियल्टी शेयरों में बिकवाली के दबाव से सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने हालिया तेजी को विराम दिया।
बीएसई सेंसेक्स 368.49 अंक यानी 0.46% गिरकर 80,235.59 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी50 97.65 अंक या 0.40% टूटकर 24,487.40 के स्तर पर आ गया। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशकों ने घरेलू मुद्रास्फीति के आंकड़ों और वैश्विक संकेतों से पहले मुनाफावसूली को तरजीह दी, खासकर हाल के रिकॉर्ड ऊंचाइयों के बाद।
शीर्ष बढ़त वाले शेयर: सेंसेक्स में मारुति सुजुकी, टेक महिंद्रा और महिंद्रा एंड महिंद्रा सबसे अधिक बढ़त वाले शेयर रहे। इन कंपनियों में मजबूती की वजह मजबूत बिक्री संकेतक और सेक्टोरल सकारात्मकता रही। वहीं बजाज फाइनेंस, ट्रेंट और हिंदुस्तान यूनिलीवर शीर्ष गिरने वाले शेयरों में शामिल रहे, जिनमें उच्च मूल्यांकन और निकट अवधि में धीमी वृद्धि की आशंका के चलते दबाव दिखा। एनएसई में भी यही रुझान देखने को मिला — टेक महिंद्रा, मारुति सुजुकी और हीरो मोटोकॉर्प ने बढ़त दर्ज की, जबकि बजाज फाइनेंस, ट्रेंट और हिंदुस्तान यूनिलीवर में गिरावट रही।
ब्रॉडर मार्केट: मध्यम और छोटे शेयरों में मिला-जुला प्रदर्शन देखने को मिला। निफ्टी मिडकैप 100 0.27% टूटकर बंद हुआ, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप महज 0.04% बढ़ा।
सेक्टोरल परफॉर्मेंस: निफ्टी फार्मा इंडेक्स हल्की बढ़त के साथ बंद हुआ, लेकिन कुछ दवा कंपनियों के शेयर नतीजों के बाद दबाव में रहे। एबॉट इंडिया 2.09% टूटा, नैटको फार्मा 1.3% गिरा, दिविज़ लैब्स 0.43% नीचे बंद हुआ और मार्कसन्स फार्मा तिमाही परिणामों के बाद 10.65% लुढ़क गया।
वित्तीय और बैंकिंग शेयरों में भारी बिकवाली रही। निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स 0.9% टूटा, जबकि प्राइवेट बैंक इंडेक्स 0.81% गिरा। रियल्टी शेयर 0.73% और एफएमसीजी 0.5% नीचे रहे।
दूसरी ओर, निफ्टी मेटल और निफ्टी आईटी इंडेक्स 0.38% चढ़े, जहां मेटल सेक्टर को स्थिर कमोडिटी कीमतों का सहारा मिला और आईटी शेयरों में नई खरीदारी देखी गई। निफ्टी ऑटो 0.56% की बढ़त के साथ सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला सेक्टर रहा, जिसे त्योहारी सीजन की मांग और सप्लाई चेन में सुधार की उम्मीदों का फायदा मिला।
बाजार दृष्टिकोण: विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट तकनीकी रूप से हालिया तेजी के बाद एक स्वाभाविक करेक्शन है। अब बाजार की दिशा आने वाले मुद्रास्फीति व औद्योगिक उत्पादन (IIP) आंकड़ों और वैश्विक आर्थिक संकेतकों से तय होगी। इस बीच, वैश्विक बाजारों में मिश्रित रुझान रहा क्योंकि निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की टिप्पणियों और चीन के आर्थिक आंकड़ों पर नजर रखे हुए हैं।