Last Updated on October 1, 2025 9:02 pm by BIZNAMA NEWS
AMN / WEB DESK
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बुधवार को भारतीय रुपया (INR) और अन्य स्थानीय मुद्राओं के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय लेनदेन में व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई नए उपायों की घोषणा की। यह कदम सरकार की उस दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण कर उसे अधिक व्यापक स्वीकृति दिलाई जा रही है।
पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि सरकार रुपया को वैश्विक स्तर पर व्यापार, वित्त और निवेश के लिए अधिक स्वीकृत मुद्रा बनाने की दिशा में लगातार प्रगति कर रही है। इस लक्ष्य के तहत अब भारत के अधिकृत डीलर (AD) बैंक और उनकी विदेशी शाखाओं को भूटान, नेपाल और श्रीलंका के निवासियों व बैंकों को रुपये में ऋण देने की अनुमति दी जाएगी। इस पहल से सीमा-पार व्यापार और वित्तीय सहयोग को बल मिलेगा। इसके लिए नियमों में संशोधन जल्द ही अधिसूचित किए जाएंगे।
मुद्रा बेंचमार्क का विस्तार
सीमा-पार लेनदेन को और सुगम बनाने के लिए RBI ने कहा कि फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया लिमिटेड (FBIL) द्वारा जारी मुद्रा संदर्भ दरों का दायरा बढ़ाया जाएगा। अभी FBIL केवल चार प्रमुख मुद्राओं—अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड और येन—के मुकाबले रुपये की दरें जारी करता है। नई व्यवस्था में भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों की मुद्राएं भी शामिल होंगी। इससे बैंकों को अधिक मुद्रा युग्मों में सीधे दरें कोट करने की सुविधा मिलेगी और मल्टीपल कन्वर्ज़न की आवश्यकता घटेगी, जिससे व्यापार और अधिक कुशल बनेगा।
SRVA धारकों को अधिक विकल्प
RBI ने स्पेशल रुपया वोस्त्रो अकाउंट (SRVA) धारकों के लिए निवेश विकल्पों का भी विस्तार किया है। जुलाई 2022 में शुरू की गई इस व्यवस्था का उद्देश्य रुपया आधारित निर्यात-आयात निपटान को बढ़ावा देना है। अब तक SRVA बैलेंस केवल सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेज़री बिलों में निवेश किए जा सकते थे। लेकिन नई व्यवस्था में इन्हें कॉरपोरेट बॉन्ड और कमर्शियल पेपर में भी निवेश करने की अनुमति होगी।
रणनीतिक महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि ये कदम रुपये को वैश्विक निपटान मुद्रा बनाने, भारतीय व्यापारियों के लिए विदेशी मुद्रा जोखिम कम करने और घरेलू वित्तीय प्रणाली को और मज़बूत बनाने की दिशा में अहम साबित होंगे।