
भारतीय शेयर बाजार गुरुवार को मंदी के रुख के साथ बंद हुए। दिनभर की उलझन भरी और सतर्क कारोबार के बाद, निवेशकों की धारणा पर वैश्विक अनिश्चितताओं, मिले-जुले संकेतों और कॉरपोरेट कमाई को लेकर चिंता हावी रही। प्रमुख सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई, हालांकि व्यापक बाजार ने कुछ मजबूती दिखाई।
बीएसई सेंसेक्स में 375 अंकों या 0.45% की गिरावट आई और यह 82,259 पर बंद हुआ। वहीं, एनएसई निफ्टी 50 में लगभग 100 अंकों या 0.40% की कमजोरी रही और यह 25,111 के स्तर पर बंद हुआ।
हालांकि, मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में संभावनाओं की झलक दिखी। बीएसई मिड-कैप इंडेक्स में 0.07% की हल्की बढ़त और स्मॉल-कैप इंडेक्स में 0.30% की वृद्धि दर्ज की गई। यह संकेत देता है कि घरेलू खुदरा और संस्थागत निवेशकों का झुकाव अभी भी चुनिंदा छोटे शेयरों की ओर बना हुआ है।
सेंसेक्स के 30 में से 23 शेयर लाल निशान में बंद हुए। टेक महिंद्रा सबसे बड़ी गिरावट वाला शेयर रहा, जिसमें 2.76% की गिरावट आई। इंफोसिस में 1.61% और एचसीएल टेक में 1.20% की गिरावट रही। दूसरी ओर, टाटा स्टील में 1.62% की तेजी रही, जबकि ट्रेंट ने 0.68% और टाइटन ने 0.46% की बढ़त दर्ज की।
बीएसई के सेक्टोरल इंडेक्स में से 19 में से 11 गिरावट के साथ बंद हुए। आईटी क्षेत्र सबसे बड़ा कमजोर सेक्टर रहा — फोकस्ड आईटी में 1.47%, आईटी इंडेक्स में 1.33%, और टेक में 1.06% की गिरावट देखी गई। वहीं, पावर (1.22%), मेटल (0.62%) और कमोडिटीज (0.42%) जैसे क्षेत्रों में हल्की मजबूती दर्ज की गई।
बीएसई पर कुल 4,100 से अधिक शेयरों में से, 2,040 शेयरों में गिरावट, 2,007 में बढ़त और 152 शेयर बिना बदलाव के बंद हुए। यह बाजार में मिली-जुली चाल और स्टॉक-विशिष्ट निवेश रुझान को दर्शाता है। एनएसई पर, 71 शेयरों ने 52-हफ्ते का उच्चतम स्तर छुआ, जबकि 19 शेयर 52-हफ्ते के निचले स्तर पर आ गए।
विश्लेषकों का मानना है कि बाजार की दिशा अब आने वाले तिमाही नतीजों, वैश्विक केंद्रीय बैंकों की नीतियों और भू-राजनीतिक घटनाओं पर निर्भर करेगी। अल्पकालिक अस्थिरता बनी रह सकती है।